1. विद्यार्थियोंमें साहित्यिक रुचि और साहित्य दर्शन का बोध विकसित होगा।
2. विद्यापतिकी भक्ति, रहीम के नीतिपरक दोहे, औररसखान की श्रीकृष्ण भक्ति के अध्ययन से साहित्य के विविध पक्षों का ज्ञान होना।
3. भाषा-संस्कृति, विचार, मानवता, काव्यत्व, काव्यरूपता, लौकिकता-पारलौकिकताआदि संबंधी दृष्टिकोण का विकास ।
4. लेखनकार्य में भाषा की बारीकियों की जानकारी से अच्छे लेखक-साहित्यकार की सृजनात्मकताका विकास।
5 विद्यार्थियोंकी भाषा संबंधी आंतरिक गुणवत्ता को विकसितकरने में सहायता मिलेगी
6 हिंदीभाषा की वास्तविक प्रकृति और उसकी वैज्ञानिकता की समझ विकसित होगी।
7 हिंदीशब्दों के समुचित उच्चारण की कला और उसके संप्रेषण का अभ्यास होगा।
8 भाषाके साथ ही साहित्यिक विधाओं की प्रकृति समझने में भी मदद मिलेगी।
9 देवनागरीलिपि की वैज्ञानिक जानकारी से विद्यार्थियों को प्रतियोगी परीक्षाओं में मदद मिलेगी।
10 कार्यालयीनकार्य में भी लेखकीय त्रुटियों से बचा जा सकता है।
11सामान्यव्यवहार में हिंदी के विविध रूप प्रचलित हैं। अतः हिंदी का मानक रूप समझाने के लिएयह पाठ्य सामग्री अत्यंत आवश्यक है।
12 इसक्रम में भाषा की आधी-अधूरी जानकारी के कारण वे लेखन कार्य में प्रायः पिछड़ जातेहैं। ऐसे विद्यार्थियों को लगता है कि यदि उन्हें प्रारंभ में भाषा की बारीकियोंकी जानकारी दी गई होती तो वे अच्छे लेखक-साहित्यकार बन सकते थे।
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