CO,Po,PSOs

Department of sanskrit

Programme outcomes:-

बी.ए. (संस्कृत):-

1.    विद्यार्थियों कोसंस्कृत भाषा के काव्यग्रन्थों,व्याकरण ,छंद-अलंकार आदि के बुनियादी स्तर से ग्रन्थों से परिचय  कीप्राप्ति ताकि वे भाषा एवं साहित्य दोनों को समझ लेवे।

2.    संस्कृतसाहित्य के इतिहास के पूर्ण ज्ञान की प्राप्ति ताकि विद्यार्थीसंस्कृत ग्रंथो से परिचित होवे।

3.    भारतीय संस्कृतिभारतीयपरंपराओं तथा नैतिक मूल्यों का विकास।

एम.ए. (संस्कृत):-

1.    विद्यार्थी संस्कृत माध्यम से अध्ययन करते हुए न केवल संस्कृत कासैद्धांतिक अपितु व्यावहारिक  ज्ञान प्राप्त करते हैं।संस्कृतसंभाषण कौशल का विकास करते हुए संस्कृत का संभाषण की भाषा(Language of conversation)केरूप में विकास।

2.    प्राचीन संस्कृत ग्रंथों में निहित ज्ञान का अर्जन कर भारतीय संस्कृतिएवं परंपराओं का अध्ययन। साथ ही संस्कृत के आधुनिक कवियो का अध्ययन कर संस्कृत केनवीन साहित्य का ज्ञान प्राप्त करना।

3.    विद्यार्थियों में नैतिक मूल्यों का विकास।

4.    प्राचीन एवं आधुनिक संस्कृत ग्रन्थ,भाषाशास्त्र आदिविषयों से संबंधित शोध कार्य को बढ़ावा।

Programme specificoutcomes:-

बी.ए. प्रथम सेमेस्टर

1.  व्याकरणशास्त्र काज्ञान प्राप्त करेगा।

2.  संस्कृत भाषा के पठन,लेखन तथा संभाषण में प्रवीणता प्राप्त होगी।

3.  व्याकरणशास्त्र केज्ञान से संस्कृत व्याख्या करने हेतु दक्षता प्राप्त होगी।

4.  वर्णमाला, शब्दों के योग तथा विच्छेद का ज्ञान प्राप्त होगा।

5.  भारतीय संस्कृति काज्ञान प्राप्त होगा।

6.  प्राचीन संस्कृतग्रंथों में निहित ज्ञान का अर्जन कर भारतीय संस्कृति एवं परंपराओं की वैज्ञानिकताका ज्ञान प्राप्त होगा ।    

7.  प्राचीन भारतीयसंस्कृति में निहित मूल तत्वों की वर्तमान प्रासंगिकता का ज्ञान  प्राप्त होगा ।

8.  ऋग्वैदिक एवंउत्तरवैदिककालीन संस्कृति का विशिष्ट ज्ञान प्राप्त होगा ।

9.  सांस्कृतिक शोध मेंरुचि विकसित होगी।   

10.              संस्कृतसंभाषण  में दक्ष एवं निपुण होंगे,जिससे विद्यार्थियों कीभाषा के अध्ययन और ज्ञान में अनायास वृद्धि होगी।

11.              संस्कृतसंभाषण सेभाषा और संस्कृति के प्रति स्वाभिमान उत्पन्न होगा।

बी.ए.द्वितीय सेमेस्टर

1.  संस्कृत कीलौकिकसाहित्य धारा के क्रमबद्ध विकास से विद्यार्थी अवगत होंगे।

2.  संस्कृत गद्य एवंपद्य काव्य में निहित सांस्कृतिक एवं नैतिक मूल्यों का ज्ञान देकर विद्यार्थियोंका चारित्रिक विकास होगा।

3.  संस्कृत पद्य एवंगद्य लेखन के गुणों का प्रारम्भिक बीजारोपण होगा।

4.  संस्कृत पद्य एवंगद्य काव्य के प्रति विद्यार्थियों की समझ विकसित होगी।

5.  विद्यार्थियों कोपद्य एवं गद्य के क्षेत्र में शोध हेतु प्रारम्भिक समझ विकसित होगी।

6.  भारतीय संस्कृति काज्ञान प्राप्त होगा।

7.  प्राचीन संस्कृतग्रंथों में निहित ज्ञान का अर्जन कर भारतीय संस्कृति एवं परंपराओं की वैज्ञानिकताका ज्ञान प्राप्त होगा ।    

8.  प्राचीन भारतीयसंस्कृति में निहित मूल तत्वों की वर्तमान प्रासंगिकता का ज्ञान  प्राप्त होगा

9.  रामायण,महाभारत एवं पुराणकालीन संस्कृतियों का विशिष्ट ज्ञान प्राप्त होगा ।

10.              सांस्कृतिक शोध मेंरुचि विकसित होगी। 

बी.ए. तृतीय सेमेस्टर

1.  संस्कृत कीलौकिकसाहित्य धारा के क्रमबद्ध विकास से विद्यार्थी अवगत  होंगे।

2.  संस्कृत नाट्य एवंकथा साहित्य में निहित सांस्कृतिक एवं नैतिक मूल्यों का ज्ञान देकर विद्यार्थियोंका चारित्रिक विकास होगा।

3.  संस्कृत नाट्य एवंकथा साहित्य लेखन के गुणों का प्रारम्भिक बीजारोपण होगा।

4.  संस्कृत नाट्य एवंकथा साहित्य के प्रति विद्यार्थियों की समझ विकसित होगी।

5.  विद्यार्थियों कोनाट्य एवं कथा साहित्य के क्षेत्र में शोध हेतु प्रारम्भिक समझ विकसित होगी

6.  भारतीय औपनिषदिकज्ञान परंपरा का ज्ञान प्राप्त होगा।

7.  गीता के अध्ययन सेआत्मज्ञान एवं आत्मप्रबंधन की कला से युक्त होंगे।

8.  जीवनमूल्य,तार्किकता,लोककल्याण की भावना के विकासके साथ साथ भारतीय आध्यात्म परंपरा का ज्ञान प्राप्त होगा।

9.  चारित्रिक निर्माणएवं व्यक्तित्व का विकास होगा।

10.              नाट्य विधा में दक्षएवं निपुणता प्राप्त होगी।।

11.              नाट्य कौशल का विकासविद्यार्थियों के आत्मविश्वास में वृद्धि करेगा।

12.              अभिनय कला एवंरंगमञ्च के क्षेत्र में रोजगार के अवसर तलाश सकेंगे।

बी.ए. चतुर्थ सेमेस्टर

1.  संस्कृत पद्य लेखन केगुणों का प्रारम्भिक बीजारोपण होगा।

2.  संस्कृत काव्यशास्त्रके प्रति विद्यार्थियों की समझ विकसित होगी।

3.  संस्कृत पद्य लेखनएवं काव्यशास्त्रीय शोध के क्षेत्र में  विद्यार्थियों की प्रारम्भिक समझ विकसित होगी।

4.  भारतीय दार्शनिकअवधारणाओं से परिचय प्राप्त होगा।

5.  विभिन्न दर्शनों केप्रमुख तत्वों एवं सिद्धांतों से परिचित होंगे।

6.  भारतीय दर्शन केक्षेत्र मेन शोध की संभावनाओं की समझ विकसित होगी

7.  नाट्य विधा में दक्षएवं निपुणता प्राप्त होगी।।

8.  नाट्य कौशल का विकासविद्यार्थियों के आत्मविश्वास में वृद्धि करेगा।

9.  अभिनय कला एवंरंगमञ्च के क्षेत्र में रोजगार के अवसर तलाश सकेंगे

बी.ए

1.  1.काव्य निर्माण के महत्वपूर्ण तथ्यों जैसे छंद,अलंकार आदि काबुनियादी अध्ययन करना।

2.  2.संस्कृत निबंध कौशल में वृद्धि।

एम.ए. (संस्कृत):-

1.  1.संस्कृत के प्राचीन ग्रन्थों तथा भारतीय परम्पराओ के विभिन्नपहलुओं का आधुनिक परिप्रेक्ष्य में अध्ययन।

2.  2.भाषाशास्त्रीय शोध के अवसर।

3.  3.योगविज्ञानभाषाशास्त्र,आधुनिक संस्कृत कवि परिचय आदि विषय संस्कृत की आधुनिक परिप्रेक्ष्यमें उपयोगिता सिद्ध करते हैं।

4.  4.शिक्षक,भाषावैज्ञानिकसेनामें धर्मगुरुपुरोहितलेखकआदि क्षेत्र में रोजगार के अवसर।

Course Learning Outcome

बी.ए. प्रथम सेमेस्टर DSC

व्याकरण   

1.  विद्यार्थीविश्वस्वीकृत सर्वश्रेष्ठ व्याकरणशास्त्र की विशेषताओं से परिचय होगा ।

2.  वर्णमाला की गहनजानकारीपूर्वक शब्दों के योग तथा विच्छेद का ज्ञान प्राप्त होगा ।

3.  शब्दों के आधिकारिकज्ञान के साथ पठनलेखन एवं संभाषण में दक्षता प्राप्त होगी । 

4.  व्याकरण का प्रारंभिकअध्ययन करने से विद्यार्थियों का भाषा पर अधिकार स्थापित होता है।

बी.ए. द्वितीय सेमेस्टर DSC

                                                    पद्य तथा गद्य काव्य

1.  काव्य के पद्य एवंगद्य भेदोपभेदों का सम्यक् ज्ञान होगा ।

2.  संस्कृत पद्य एवंगद्य काव्य के प्रति विद्यार्थियों की समझ विकसित होगी।

3.  पाठ्यविषय से भारतीयसांस्कृतिक मूल्यों से विद्यार्थी सुपरिचित हो सकेंगे ।

4.  नैतिक चिन्तन कीक्षमता में अभिवृद्धि होगी और चारित्र्य-विकास होगा ।

5.  संस्कृत पद्य एवंगद्य लेखन एवं शोध के क्षेत्र में प्रारम्भिक समझ विकसित करना।

बी.ए. प्रथम सेमेस्टर GE

                                        भारतीय संस्कृति  1

1.  भारतीय संस्कृति केमूल तत्वों की वैज्ञानिकता का अध्ययन कर भारतीय संस्कृति के प्रति विद्यार्थियोंमें आस्था का निर्माण होगा।

2.  भारतीय संस्कृति केमूल तत्वों की वर्तमान प्रासंगिकता का ज्ञान प्राप्त कर विद्यार्थी सांस्कृतिकतत्वों के चिरकालीन महत्त्व को जान सकेंगे।

3.  सांस्कृतिक विशेषताओंका आत्मसातिकरण विद्यार्थियों के शुद्ध चरित्र एवं उत्तम व्यक्तित्व का निर्माणकरेगा। 

4.  ऋग्वैदिक एवंउत्तरवैदिककालीन संस्कृति का विशिष्ट अध्ययन तत्कालीनसांस्कृतिक एवं सामाजिक परिवेश को जानने में लाभकारी होगा।

5.  सांस्कृतिक शोध मेंविद्यार्थियों की रुचि विकसित होगी।

बी.ए. द्वितीय सेमेस्टर GE

                            भारतीय संस्कृति  2

1.  भारतीय संस्कृति केमूल तत्वों की वैज्ञानिकता का अध्ययन कर भारतीय संस्कृति के प्रति विद्यार्थियोंमें आस्था का निर्माण होगा।

2.  भारतीय संस्कृति केमूल तत्वों की वर्तमान प्रासंगिकता का ज्ञान प्राप्त कर विद्यार्थी सांस्कृतिकतत्वों के चिरकालीन महत्त्व को जान सकेंगे।

3.  सांस्कृतिक विशेषताओंका आत्मसातिकरण विद्यार्थियों के शुद्ध चरित्र एवं उत्तम व्यक्तित्व का निर्माणकरेगा।

4.  रामायण,महाभारत एवं पुराणकालीन संस्कृतियों का विशिष्ट ज्ञान प्राप्त होगा।

बी.ए. प्रथम सेमेस्टर SEC

                                   संभाषणकौशलम् 

1.  संस्कृतसंभाषण  में दक्ष एवं निपुण होंगे,जिससे विद्यार्थियों कीभाषा के अध्ययन और ज्ञान में अनायास वृद्धि होगी।

2.  संस्कृतसंभाषण सेभाषा और संस्कृति के प्रति स्वाभिमान उत्पन्न होगा।

3.  भाषा कौशल का विकासविद्यार्थियों के आत्मविश्वास मेन वृद्धि करेगा।

4.  प्रतियोगी परीक्षाओंतथा साक्षात्कार आदि में विद्यार्थियों के कौशल की वृद्धि होगी।

बी.ए.द्वितीय सेमेस्टर SEC

                                         संभाषणकौशलम् -2

1.  संस्कृतसंभाषण  में दक्ष एवं निपुण होंगे,जिससे विद्यार्थियों कीभाषा के अध्ययन और ज्ञान में अनायास वृद्धि होगी।

2.  संस्कृतसंभाषण सेभाषा और संस्कृति के प्रति स्वाभिमान उत्पन्न होगा।

3.  भाषा कौशल का विकासविद्यार्थियों के आत्मविश्वास मेन वृद्धि करेगा।

4.  प्रतियोगी परीक्षाओंतथा साक्षात्कार आदि में विद्यार्थियों के कौशल की वृद्धि होगी।

बी.ए. तृतीय सेमेस्टर DSC

                                   नाटक एवं कथा साहित्य

1.  संस्कृत साहित्य कीनाटक एवंकथा नामक विधाओं का सम्यक् ज्ञान होगा ।

2.  संस्कृत दृश्य काव्यएवं कथा साहित्य के प्रति विद्यार्थियों की समझ विकसित होगी।

3.  पाठ्यविषय से भारतीयसांस्कृतिक मूल्यों से विद्यार्थी सुपरिचित हो सकेंगे ।

4.  नैतिक चिन्तन कीक्षमता में अभिवृद्धि होगी और चारित्र्य-विकास होगा ।

5.  संस्कृत नाट्य एवंकथालेखन एवं शोध के क्षेत्र में प्रारम्भिक समझ विकसित करना।

बी.ए. चतुर्थ सेमेस्टर DSC

                                                काव्यशास्त्र

1.  संस्कृतकाव्यशास्त्रीय परंपरा का प्रारम्भिक ज्ञान प्राप्त होगा ।

2.  संस्कृत  काव्यशास्त्र के प्रति विद्यार्थियों की समझ विकसित होगी।

3.  छंदों के ज्ञान सेसंस्कृत पद्यों की गेयता की क्षमता का विकास होगा तथा मौलिक काव्य निर्माण कीयोग्यता विकसित होगी।

4.  अलंकारों के ज्ञान सेकाव्य के सौंदर्य को समझने तथा काव्य निर्माण में अलंकारों के महत्व को समझने मेंविद्यार्थी को सहायता मिलेगी।

5.  संस्कृत पद्य लेखनएवं काव्यशास्त्रीय शोध के क्षेत्र में प्रारम्भिक समझ विकसित होगी।

बी.ए. तृतीय सेमेस्टर DSE

                                              गीता एवंउपनिषद्

1.  विद्यार्थी प्राचीनभारतीय औपनिषदिक ज्ञान परंपरा से परिचित होंगे।

2.  गीता के अध्ययन सेआत्मज्ञान एवं आत्मप्रबंधन की कला से युक्त होंगे।

3.  आत्मज्ञान के साथ साथजीवनमूल्य, तार्किकता एवं लोककल्याण की भावना का विकास होगा।

4.  व्यक्तित्व का विकासहोगा।

बी.ए. चतुर्थ सेमेस्टर DSE

                                               भारतीयदर्शन

1.  भारतीय विभिन्न दार्शनिक प्रणालियों की उत्पत्ति और विकास कीअवधारणाओं से परिचित होंगे।

2.  विभिन्न दर्शनों के प्रमुख तत्वों एवं सिद्धांतों से परिचित होंगे।

3.  दार्शनिक विचारों एवं सिद्धांतों के मध्य तुलना एवं अंतर करने मेसक्षम होंगे।

4.    व्यक्तिगतआचार्यों के योगदान और ज्ञान परंपरा के विकास को समझेंगे।

बी.ए. तृतीय सेमेस्टर SEC

                                                भारतीय रंगमञ्च -1

1.  प्राचीन भारतीय रंगमञ्च का ज्ञान प्राप्त होगा।

2.  नाट्य विधा में दक्ष एवं निपुण होंगे।

3.  नाट्य कौशल का विकास विद्यार्थियों के आत्मविश्वास में वृद्धि करेगा।

4.  अभिनय कला एवं रंगमञ्च के क्षेत्र में रोजगार के अवसर तलाश सकेंगे।

5.  प्राचीन नाट्य साहित्य के अनुशीलन से तत्कालीन समाजलोकव्यवहार,भाषा आदि का ज्ञान प्राप्त हो सकेगा।

बी.ए.चतुर्थ सेमेस्टर SEC

भारतीयरंगमञ्च - 2

1.  प्राचीन भारतीय रंगमञ्च का ज्ञान प्राप्त होगा।

2.  नाट्य विधा में दक्ष एवं निपुण होंगे।

3.  नाट्य कौशल का विकास विद्यार्थियों के आत्मविश्वास में वृद्धि करेगा।

4.  अभिनय कला एवं रंगमञ्च के क्षेत्र में रोजगार के अवसर तलाश सकेंगे।

5.  प्राचीन नाट्य साहित्य के अनुशीलन से तत्कालीन समाजलोकव्यवहार,भाषा आदि का ज्ञान प्राप्त हो सकेगा।

बी.ए.भाग 3

1.  1.काव्य निर्माण के महत्वपूर्ण तथ्यों जैसे छंद,अलंकार आदि काबुनियादी अध्ययन।

2.  2.संस्कृत निबंध कौशल में वृद्धि।

एम.ए. प्रथम सेमेस्टर:-

1.  1.वेद,उपनिषद इत्यादि ज्ञान से परिपूर्ण ग्रन्थों का अध्ययन।

2.  2.पाली जैसी महत्त्वपूर्ण भाषाओ के अध्ययन से भाषाशास्त्रीय शोध केआयामों में वृद्धि।

3.  3.श्रीमद्भगवतगीता एवं दर्शन का अध्ययन आध्यात्मिक उन्नति की ओरअग्रसर करता है।

4.  4.साहित्यशास्त्र एवं काव्य विषयों पर विद्यार्थियों के ज्ञान कीवृद्धि होने से संस्कृतसाहित्य लेखन कुशलता में  वृद्धि होती है।

एम.ए.द्वितीय सेमेस्टर

1.  1.वेद तथा वेदाङ्ग इत्यादि ज्ञान से परिपूर्ण ग्रन्थों का अध्ययन।

2.  2.भाषवैज्ञानिक के रूप में रोजगार केअवसर की प्राप्ति।

3.  3.दर्शन के अध्ययन सेविद्यार्थियों के आध्यात्मिक ज्ञान की वृद्धि तथा योग जैसे वर्तमान युग केप्रासंगिक पक्ष  की ज्ञानप्राप्ति I

4.  4.संस्कृत साहित्य लेखन कुशलता में वृद्धि।

एम.ए. तृतीय सेमेस्टर

1.  1.भारतीय संस्कृति के विभिन्न पहलुओं की ज्ञान प्राप्ति।रामायणमहाभारतपुराणजैसे भारतीय संस्कृति के  आधार स्तम्भ माने जाने वालेग्रन्थों का ज्ञान।

2.  2.काव्यशास्त्रसाहित्यशास्त्र तथा रस-ध्वनि आदि काव्यशास्त्रीय तथ्यों के ज्ञान से संस्कृत साहित्य लेखनकुशलता में वृद्धि।

3.  3.कौटिलीयअर्थशास्त्र जैसे ग्रन्थों का अध्ययन आर्थिकराजनैतिक आदिक्षेत्रों में संस्कृत के महत्व का ज्ञान  प्रदर्शितकरते हैं।

एम.ए. चतुर्थ सेमेस्टर

1.  1.भारतीय संस्कृति के विस्तृत ज्ञान की प्राप्ति ।

2.  संस्कृत के आधुनिक कवियों के अध्ययन के माध्यम से संस्कृत की वर्तमान प्रासंगिकतासे विद्यार्थियों का परिचय।

3.  छतीसगढ़ के धार्मिक स्थलों के परिचय की प्राप्ति।

4.  काव्यशास्त्रसाहित्यशास्त्रतथा रस-ध्वनि आदिकाव्यशास्त्रीय तथ्यों के ज्ञान से संस्कृत साहित्य लेखन कुशलता में वृद्धि।

5.  कौटिलीय अर्थशास्त्रजैसे ग्रन्थों का अध्ययन आर्थिकराजनैतिक आदि क्षेत्रों में संस्कृत के महत्व का ज्ञान प्रदर्शितकरते हैं।

 

 

                  

 

 

 

 

 

 

 

 

      

 

 

 

 

 

 

                       

 

 

 


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