शासकीय दिग्विजय स्वशासी स्नातकोत्तर महाविद्यालय राजनांदगांव में प्राचार्य डॉक्टर के.एल. टांडेकर के मार्गदर्शन में प्फ।ब् व मानव संसाधन विकास प्रकोष्ठ के तत्वाधान में ‘‘ब्वकम व िब्वदकनबज ‘‘विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ वीरेंद्र स्वर्णकार, रजिस्ट्रार भारतीय विश्वविद्यालय दुर्ग एवं डॉ. कुबेर सिंह गुरुपंच , डीन आर्ट एंड ह्यूमैनिटीस,भारतीय विश्वविद्यालय दुर्ग उपस्थित रहे। महाविद्यालय के प्राचार्य ने पुष्प गुच्छ देकर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। कार्यक्रम को आरंभ करते हुए प्राचार्य डॉ. के एल. टांडेकर ने अपने अभिभाषण में कोड आफ कंडक्ट के महत्व के बारे में बताया।तत्पश्चात कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए श्री गुरप्रीत सिंह भाटिया ने अतिथियों के व्याख्यान हेतु आमंत्रित किया। डॉ वीरेंद्र स्वर्णकार ने अपने अभिभाषण में बताया के शासकीय कर्मचारियों को विभागीय एवं राज्य शासन के नियम और निर्देशों का पालन करना चाहिए साथ ही शासकीय सेवा में रहते हुए शैक्षणिक दक्षता,दायित्व के निर्वहन ,नैतिकता, शोध विधा और अनुशासन के महत्व को बताते हुए छत्तीसगढ सिविल सेवा अधिनियम (वर्गीकरण, नियंत्रण और अपील) , अधिकारियो की शक्तियां एवं कर्तव्य व आचार संहिता पर विस्तार से चर्चा की। और कोड ऑफ कंडक्ट के सैद्धांतिक और व्यवहारिक प्रयोग को विस्तार से समझाया। डॉक्टर कुबेर सिंह गुरुपंच ने अपने वक्तव्य में कर्मचारीध्अधिकारी के कृत्यों के निर्वहन,विनियम,अनुदेश ,कार्य आबंटन नियम, छ.ग. सिविल सेवा आचरण नियम(1965),अधिकारी कर्मचारियों के लिए आकस्मिक अवकाश पत्र प्रस्तुत करने नियम, लिपिक संवर्ग के दिशा निर्देश ,विभागीय परीक्षा उत्तीर्ण करने के निर्देश, शासकीय कर्मचारियों को प्राप्त सुविधाएं, छत्तीसगढ़ गवर्नमेंट सर्वेंट नियम (1960), गोपनीय प्रतिवेदन संबंधी कार्य, बजट समन्वय, विभाग अध्यक्ष संबंधित कार्य को विस्तार से समझाया। कार्यशाला में छ।।ब् संयोजक डॉ के. के. देवांगन ने धन्यवाद ज्ञापित करते हुए बताया कि ‘‘कोड ऑफ कंडक्ट‘‘ कर्मचारियों को अनुशासन के साथ अधिकार और शक्तियां भी प्रदान करता है जो सेवा काल में बहुत महत्वपूर्ण है। कार्यशाला का प्रबंधन प्फ।ब् संयोजक डॉ अनीता साहा ने किया। कार्यक्रम में प्फ।ब् के सदस्य डॉ त्रिलोक देव ,डॉ डी.के. वर्मा, श्रीमति हेमपुष्पा , कु. रागिनी पराते,श्री चिरंजीव पांडेय एवं मानव संसाधन विकास प्रकोष्ठ से डॉ अंजना ठाकुर, डॉ मीना प्रसाद, डॉ सोनल मिश्रा, डाॅ. प्रियंका सिंह, हेमंत कुमार नंदा गौरी, श्री शरद तिवारी का विशेष योगदान रहा। कार्यशाला में महाविद्यालय के समस्त प्राध्यापक, सहायक प्राध्यापक, अधिकारीध्कर्मचारी उपस्थित रहे। कार्यशाला का समापन करते हुए प्राचार्य डॉ. के. एल. टांडेकर ने मुख्य अतिथियों को प्रशस्ति पत्र एवं स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया।