राजनांदगांव । स्थानीय दिग्विजय महाविद्यालय के प्राध्यापकों ने शोध एवं अनुसंधान के क्षेत्र में एक विशिष्ट उपलब्धि हासिल की है । महाविद्यालय के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है जब एक अकादमिक वर्ष में महाविद्यालय के चार शोध परियोजना के प्रस्ताव को नामी संस्थानों ने मंजूरी दी है। इन चार शोध परियोजनाओं में दो वृहद परियोजना है जबकि दो लघु शोध परियोजना है । एक वृहद शोध परियोजना भारत निर्वाचन आयोग से स्वीकृत हुई है जिसके लिए 6.80 लाख रुपए प्राप्त हुई है । इस राशि से आगामी छत्तीसगढ़ विधानसभा के निर्वाचन के परिपेक्ष में दुर्ग संभाग के सभी 20 विधानसभा क्षेत्रों में बेसलाइन सर्वे किया जाना है । इस बेसलाइन सर्वे में दुर्ग संभाग के मतदाताओं के मतदान के प्रति अभिरुचि व व्यवहारों का विश्लेषण किया जाएगा । इस शोध परियोजना के समन्वयक अर्थशास्त्र विभाग के प्राध्यापक डॉ डी पी कुर्रे एवं मुख्य अन्वेषक वनस्पति विज्ञान के प्राध्यापक डॉ त्रिलोक कुमार होंगे । सहायक अन्वेषक के रूप में वनस्पति विभाग के प्राध्यापक डॉ सोनल मिश्रा तथा रसायन शास्त्र विभाग के प्रो गोकुल निषाद है । दूसरी वृहद शोध परियोजना हेतु राज्य योजना आयोग छत्तीसगढ़ से 5.00 लाख रुपए प्राप्त हुई है । इस शोध परियोजना के मुख्य अन्वेषक अर्थशास्त्र विभाग के वरिष्ठ प्राध्यापक डॉ महेश श्रीवास्तव है तथा अंग्रेजी विभाग के वरिष्ठ प्राध्यापक डॉ नीलू श्रीवास्तव इस शोध परियोजना के सहायक अन्वेषक हैं । इस राशि से छत्तीसगढ़ के बैगा जनजाति समुदाय के लोगों की साक्षरता रोजगार एवं स्वास्थ्य आदि पहलुओं का अध्ययन किया जाएगा तथा इस क्षेत्र में संचालित सरकारी कार्यक्रमों की समीक्षा भी की जाएगी । तीसरी शोध परियोजना लघु शोध परियोजना है और इसके लिए भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद नई दिल्ली से 4.28 लाख रुपए प्राप्त हुई है । इस शोध परियोजना के मुख्य अन्वेषक संस्कृत विभाग के प्राध्यापक डॉ ललित प्रधान आर्य है । इस शोध परियोजना से छत्तीसगढ़ी व संस्कृत भाषा के बीच अंतर संबंध पर विस्तृत अध्ययन किया जाएगा । इससे यह पता चल सकेगा कि संस्कृत व छत्तीसगढ़ी भाषा के बीच संबद्धता कितनी है और कितनी ऐतिहासिक है । आई सी एस एस आर भारत की एक प्रतिष्ठित फंडिंग संस्था है जो सामाजिक विज्ञान के क्षेत्र में शोध व अनुसंधान कार्य को प्रोन्नत करता है। चैथी लघु शोध परियोजना हेतु छत्तीसगढ़ वित्त आयोग से ₹80,000/- प्राप्त हुई है । वाणिज्य विभाग के सहायक प्राध्यापक सुश्री रागिनी पराते इस परियोजना के मुख्य अन्वेषक है । इस परियोजना में नगरीय विकास तथा पंचायत राज व्यवस्था में आम जनों की न्यूनतम अपेक्षाओं पर बेसलाइन सर्वे किया गया है । रिसर्च प्रोजेक्ट प्रोन्नत समिति के संयोजक डॉ डी पी कुर्रे ने इस उपलब्धि पर खुशी जाहिर करते हुए बताया कि आने वाले समय में और भी शोध प्रस्ताव को मंजूरी मिलने वाली है। इसका फायदा वर्ष 2024 में होने वाली महाविद्यालय के नैक मूल्यांकन में मिलेगा । महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ के एल टाडेकर ने प्राध्यापकों के इस अकादमिक उपलब्धि पर बधाई देते हुए यह कहा कि पिछले 1 वर्ष में महाविद्यालय में शोध व अनुसंधान के क्षेत्र में काफी प्रगति हुई है, चाहे वह स्वशासी अध्यापकों को शोध हेतु ₹50000/- का अनुदान देना हो या फिर शोध से जुड़े संदर्भ ग्रंथों व जर्नल की खरीदी हो । अनुसंधान के तमाम क्षेत्रों में उत्तरोत्तर प्रगति हुई है। जिसका लाभ व प्रभाव अब दिखने लगा है।