भारतीय जीवनमूल्य नैतिक सुशासन का आधार है. डॉण् दिव्या देशपांडे

वर्ल्ड फिलासफी डे के अवसर परए भारतीय ज्ञान परंपरा में जीवनमूल्य विषय पर शासकीय दिग्विजय महाविद्यालय के दर्शनशास्त्र विभाग में आयोजित अतिथि व्याख्यान पर पधारे डॉक्टर दिव्या देशपांडे ने विद्यार्थियों को बतलाते हुए कहा कि. भारत शब्द में भा शब्द का अर्थ ही प्रकाशमान होता है इसलिए इस धरती पर सबसे प्रकाशमान राष्ट्र भारत ही है और छः हज़ार वर्षों से भारतीय जीवनमूल्यों की परंपरा सतत् चली आ रही है। यह आज भी प्रासंगिक और कालातीत है। उन्होंने बतलाया कि यजुर्वेद के चोतीसवें अध्याय के मंत्र शिव संकल्प सूक्त में जब ऋषि कहता है कि मेरा मन शुभ संकल्प से युक्त हो तो यह विचार पूरे पृथ्वी के नैतिक मूल्यों का प्रतिनिधित्व करता हैए  ऐसे ही सकारात्मक एवं कल्याणकारी विचारों से भारतीय ज्ञान परंपरा समृद्ध है।जब तक इस प्रकार के सार्वभौमिक भारतीय जीवनमूल्यों से विश्व दिशानिर्देश लेता रहेगा ए तब तक धरती पर नैतिक सुशासन स्थापित रहेगा। ज्ञातव्य हो कि वर्ल्ड फिलासफी डे की इस बार की थीम भी आधुनिक तकनीकी युग में नैतिक सुशासन की स्थापना है। डॉ दिव्या देशपांडे ने विद्यार्थियों को भारतीय जीवनचर्या एसंस्कार एवर्णाश्रमए आश्रम व्यवस्थाए पुरुषार्थएकर्मफल और पुनर्जन्म जैसे सिद्धांतों को सरलता से समझाते हुए रामायण और महाभारत के अनेक दृष्टांत दिए और बतलाया कि भारतीय संस्कृति ही प्रकृति संरक्षक और मानवीय धर्म पर आधारित है इसीलिए श्रीराम ने वनवासियों को संगठित किया और प्रकृति विरोधी और अधार्मिक अनार्यों को खत्म किया तथा अयोध्या में नैतिक सुशासन की स्थापना की। इस अवसर पर विभाग अध्यक्ष डॉक्टर हरनाम सिंह अलरेजा ने धन्यवाद ज्ञापन दिया इस कार्यक्रम में प्रोण् हिरेंद्र बहादुर ठाकुर प्रोण् संजय सप्तर्षि प्रोण् डी के वर्मा प्रौण् श्रद्धा देवीएस्कूल शिक्षिका नीलम और दर्शनशास्त्र एवं योग विभाग के अनेक विद्यार्थियों ने सहभागिता दी।