छत्तीसगढ़ का साहित्यिक तीर्थ है 'मुक्तिबोधस्मारक' : डॉ. प्रवीण  साहू

एम.ए.हिंदी प्रथम सेमेस्टर के विद्यार्थियों नेकिया 'मुक्तिबोध स्मारक' का भ्रमण

 

राजनांदगांव: शासकीय दिग्विजयमहाविद्यालय राजनांदगांव के हिंदी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. शंकर मुनि राय के निर्देशनएवं प्राध्यापक डॉ. प्रवीण कुमार साहू के नेतृत्व एवं मार्गदर्शन में स्नातकोत्तरप्रथम सेमेस्टर के विद्यार्थियों ने त्रिवेणी परिसर में स्थित मुक्तिबोध संग्रहालयका भ्रमण किया। भ्रमण के दरमियान डॉ. प्रवीण कुमार साहू ने विद्यार्थियों को बतायाकि मुक्तिबोध संग्रहालय छत्तीसगढ़ का एकमात्र साहित्यिक तीर्थ है। यहां पूरे देशभर से विद्यार्थीशोधार्थी एवंसाहित्यकार भ्रमण के लिए आते हैं। संस्कारधानी राजनांदगांव के दिग्विजय कॉलेज मेंविश्व विख्यात साहित्यकार गजानन माधव मुक्तिबोध एवं डॉ. पदुमलाल पुन्नालाल बख्शीने प्राध्यापक के रूप में अध्यापन कार्य किया था। डॉ. बलदेव प्रसाद मिश्र जी इसनगर में जन्मे साहित्यकार एवं राजनीतिज्ञ थे जो साकेत संत के रूप में प्रख्यातहैं। इन तीनों महान विभूतियों की स्मृतियों, कृतियों एवंअमूल्य वस्तुओं को मुक्तिबोध संग्रहालय में संग्रहित कर संरक्षित रखा गया है। जिलाप्रशासन द्वारा सन 2005 में इस संग्रहालय की स्थापना की गई।विद्यार्थियों ने इस संग्रहालय में डॉ. बलदेव प्रसाद मिश्र की विभिन्न दुर्लभतस्वीरें, रचनाओं एवं उनकी साहित्यिक उपलब्धियों को देखा।  बक्शी जी की किताबें, बाल साहित्य एवंउनके दैनिक जीवन में उपयोग की जाने वाली वस्तुओं का अवलोकन किया। इस संग्रहालय मेंमुक्तिबोध से जुड़ी कई वस्तुओं को सहेज कर रखा गया है। इनमें से कई वस्तुएं जिनकाउनके कविता और कहानियों में उल्लेख मिलता है। मुक्तिबोध का ओवरकोट, कविता और कहानियों की पांडुलिपियाँ औरउनके दैनिक जीवन की उपयोगी वस्तुओं को इस संग्रहालय में अवलोकन कर विद्यार्थीगणअभिभूत थे। जूलॉजी विभाग में राजनांदगांव रियासत के राजाओं द्वारा शिकार किए दोशेर और एक मगरमच्छ को संरक्षित कर रखा गया है तथा इतिहास विभाग द्वारा संरक्षितराजनांदगांव रियासत की दुर्लभ तस्वीरों के माध्यम से विद्यार्थीगण यहां की समृद्धरियासत एवं साहित्यिक वैभव के बारे में जानकर गदगद हो गए। विद्यार्थियों में चेतनासिन्हा, जानवी, दामिनी, करीना, बरखा,जयकुमारी,भोजराम,वंदना,प्रमोदआदि सम्मिलित थे।