*राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में छत्तीसगढ़ीसाहित्य और संस्कृति को दिया जा रहा महत्व*
fnukad 16-05-2025
राजनांदगांवः- शासकीय दिग्विजय महाविद्यालय केप्राचार्य डॉ. सुचित्रा गुप्ता के निर्देशन में हिंदी विभाग द्वारा अध्ययन मंडल कीबैठक आयोजित की गई। विभाग अध्यक्ष हिंदी डॉ. शंकर मुनि राय ने बताया कि इस वर्षस्नातक और स्नातक ऑनर्स की पढ़ाई की जाएगी। इसके पाठ्यक्रम में स्थानीय भाषा, साहित्य, शिक्षा और संस्कृति को विशेष महत्व दिया गयाहै। प्रत्येक सेमेस्टर के सिलेबस में ऐसे प्रश्न पत्र रखे गए हैं जिसमेंछत्तीसगढ़ी भाषा- साहित्य का इतिहास, व्याकरणमुहावरे, लोकोक्तियां, पहेलियां , लोक साहित्य लोक गाथाएं, लोक कथा औरलोकगीत को सम्मिलित किया गया है। कुछ वीर गाथाएं, पंडवानी औरभरथरी जैसे लोकगीतों को भी पाठ्यक्रम में स्थान दिया गया है। इसके साथ हीछत्तीसगढ़ी व्याकरण की समस्त कोटियों का अध्ययन विद्यार्थियोंको कराया जाएगा। छत्तीसगढ़ के मूर्धन्य साहित्यकारों में पंडित सुंदरलाल शर्मा, लोचन प्रसाद पांडे, प्यारेलाल गुप्त, श्यामलालचतुर्वेदी, नारायण लाल परमार, डॉ. खूबचंद बघेल, संत धरमदास, मुकुटधर पांडे, हरि ठाकुर, द्वारिका प्रसाद तिवारी विप्र, परदेसी राम वर्मा आदि साहित्यकारों की रचनाएं भी सम्मिलित की गई है।छत्तीसगढ़ के ज्ञानपीठ पुरस्कार प्राप्त राष्ट्रीय साहित्यकार विनोद कुमार शुक्लकी कृतियों का ज्ञानार्जन भी विद्यार्थी कर सकेंगे। प्रतियोगी परीक्षाओं की दृष्टिसे भी यह पाठ्यक्रम विद्यार्थियों के लिए अत्यंत लाभकारी होगा । प्राचार्य डॉ.सुचित्रा गुप्ता ने कहा की हिंदी विभाग ने राष्ट्रीयशिक्षा नीति की मनसा के अनुरूप स्थानीय बोली, भाषा औरसंस्कृति के साथ ही भारतीय ज्ञान परंपरा को पाठ्यक्रम में शामिल करके सराहनीयकार्य किया है। अध्ययन मंडल की बैठक में विषय विशेषज्ञ के रूप में डॉ. अंजन कुमारकल्याण महाविद्यालय भिलाई, डॉ. बी. एन. जागृत डॉ. प्रवीण कुमार साहू, डॉ. गायत्री साहू, डॉ. नीलम तिवारी, डॉ. वीरेंद्रकुमार साहू एवं श्री कौशिक बिसी उपस्थित थे।