शासकीय दिग्विजय स्वशासी स्नातकोत्तर महाविद्यालय, राजनांदगांव में प्राचार्य डॉ.के.एल.टांडेकर के मार्गदर्शन एवं पत्रकारिता विभागाध्यक्ष डाॅ.बी.एन.जागृत के नेतृत्व में एम. ओ. यू. गतिविधि के अंतर्गत सेंटथामस महाविद्यालय, भिलाई के पत्रकारिता विभाग के विद्यार्थियों एंव दिग्विजय महाविद्यालय के विद्यार्थियों के साथ दिग्विजय महाविद्यालय में भारतीय संविधान विषय पर समूह चर्चा का आयाेिजत की गई। कार्यक्रम का शुभारंभ वाग्देवी मां सरस्वती एवं छत्तीसगढ़ महतारी के चरणों में दीप प्रज्ज्वलन कर किया गया। इस अवसर पर छात्र – छात्राओं को संविधान की प्रस्तावना को पढ़ाया गया, तथा उन्हें भारतीय संविधान की जानकारी दी गई।
प्राचार्य डॉ.के.एल.टांडेकर, ने भारतीय संविधान के निर्माण, विशेषता के साथ ही महत्ता और प्रदत्त किए गए मानव के अधिकारों के बारे में भी बताया। साथ ही कहा अंबेडकर व्यक्ति नहीं विचार धारा है । वे एक प्रखर पत्रकार व सच्चे राष्ट्रवादी थें, वे नारियों के मुक्ति दाता हंै। यह सब संविधान के बल बुते पर संभव हो सका है। आजाद भारत के आजाद नागरिकों को अपने संवैधानिक अधिकार को अवश्य ही जानना चाहिए।
पत्रकारिता विभागाध्यक्ष डाॅ.बी.एन.जागृत, ने कहा कि डाॅ. बी.आर. अंबेडकर ने देश को एक नई दिशा दी, जिसकी बदौलत आज देश तरक्की की ओर अग्रसर हैं।
इस दौरान दोनों महाविद्यालय के विद्यार्थियों ने सविधान के निर्माण एवं इसकी मुख्य विशेषताओं के बारें में बताया। संविधान का निर्माण भारतीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण घटना है। 26 नवंबर की ऐतिहासिक तारीख को सन 1949 में भारतीय संविधान को स्वीकार किया गया । लेकिन इसे 26 जनवरी को लागू किया गया। एक भारतीय होने के नाते समानता का अधिकार, स्वतंत्रता का अधिकार, शोषण विरुद्ध अधिकार, धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार एवं शिक्षा से संबंधित अधिकार मिलें हुए है।
पत्रकारिता विभागाध्यक्ष डाॅ.बी.एन.जागृत ने स्टूडेंट एक्सचेंज गतिविधि का महत्व बताते हुए सेंटथामस महाविद्यालय, की जानकारी दी। इस गतिविधि में सम्मिलित विद्यार्थियों एवं दोनों महाविद्यालय के प्राध्यापकों का परिचय कराया।
छात्र – छात्राओं को भारतीय संविधान की जानकारी देने के साथ इसकी विशेषताओं से भी अवगत कराया गया। विद्यार्थियों के इसके इतिहास और प्रदत्व के बारे में भी बताकर उनको जागरुक किया गया।
सेंटथामस महाविद्यालय भिलाई, पत्रकारिता विभागाध्यक्ष डाॅ. रीमा देवंागन, ने कहंा आज हम एम.आ.ेयू. तहत उपस्थित हुए हैं। इस तरह के कार्यक्रम से दो महाविद्यालय आपस में मिलते है साथ ही छात्र – छात्रएं एक दूसरे से भी परिचित होते हैं। इस तरह किसी विषय पर चर्चा करने से ज्ञान विकास होता है । इस तरह के कार्यक्रम होते रहना चाहिए।