शासकीय दिग्विजय महाविद्यालय राजनांदगांव के इतिहास विभाग के एम.ए. के छात्र-छात्राओं ने प्राचार्य डाॅ. आर.एन. सिंह के निर्देशन तथा विभागाध्यक्ष डाॅ. शैलेन्द्र सिंह, प्रो. हिरेन्द्र बहादुर ठाकुर तथा प्रो. अमर वर्मा के नेतृत्व में मुगलकालीन स्थापत्य कला को देखने और जानकारी प्राप्त करने के लिए आगरा, फतेहपुर सीकरी का भ्रमण किया। ललित कलाओं के विकास में मुगल बादशाहों ने पूर्ण ध्यान दिया इसमें श्रेष्ठ स्थान स्थापत्य कला का है। मुगलकालीन स्थापत्य कला मध्य एशिया की इस्लामी कला और भारतीय हिंदु कला का मिश्रित रूप है। आगरा के किले के कुछ भागों का निर्माण अकबर तथा कुछ भागों का निर्माण शाहजंहा द्वारा करवाई गई थी। विश्व के आठ आश्चर्यो में से एक ताजमहल को देखकर छात्र-छात्राओं में विशेष उत्साह देखने को मिला। सफेद संगमरमर से बनी यह इमारत वाकई में अद्भुत है। इसका कलाकारी देखते ही बनती है। अकबर कालीन सुन्दर इमारतों में फतेहपुर सीकरी का नाम आता है। यहां पंचमहल, खासमहल, मरियममहल, जामा मस्जिद, बुलन्द दरवाजा और शेख सलीम चिस्ती का मकबरा प्रमुख है। पंचमहल में जितनें भी स्तम्भ है वे विविध प्रकार के बने है। सिकन्दरा में स्थित अकबर के मकबरे की योजना अकबर ने स्वयं बनाई थी, जिसे जंहागीर के समय पूर्ण किया गया। यह भी मुगलकालीन स्थापत्य कला का दर्शनीय स्थल है।