Department at a Glance

दिग्विजय महाविद्यालय के स्थापना के साथ दर्शनशास्त्र विभाग का प्रारंभ वर्ष 1957 में हुआ। दर्शनशास्त्र विषय में स्नातक स्तर तक का अध्यापन होता है। इस विभाग में स्वीकृत पद 1 तथा कार्यरत प्राध्यापक 1 है। सत्र 2016 - 17 में स्ववित्तीय मद से पीजी डिप्लोमा इन योग एजुकेशन एंड फिलॉसफी पाठ्यक्रम प्रारंभ किया गया। यह पाठ्यक्रम सफलतापूर्वक संचालित हो रहा है। डॉक्टर हरनामसिंह अलरेजा दर्शनशास्त्र विभाग के विभागाध्यक्ष है। आप हेमचंद यादव दुर्ग विश्वविद्यालय में शोध गाइड है। आपने दो शोध परियोजनाओं  - सांप्रदायिक संदर्भ तथा धार्मिक विश्लेषण" (2008)  और विवेकानंद तथा आधुनिक भारत हेतु प्रेरक तत्व"(2022) पर शोध कार्य किया है। लगभग 35 राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी तथा अधिवेशनों में अपने शोधपत्र का वाचन किया है। आपके विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में 25 शोध पत्र प्रकाशित है सत्र 2021- 22 से डॉक्टर हरनाम सिंह अलरेजा भारतीय उच्च अध्ययन संस्थानराष्ट्रपति निवास शिमला में एसोसिएट्सशिप के रूप में शोधकार्य कर रहे हैं। दर्शनशास्त्र विभाग में विगत12 वर्षों से धर्म तथा अंधविश्वास संबंधी जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। जिसमें छात्र-छात्राओं द्वारा किसी ग्राम में जाकर वहां के लोगों को जागरूक करने के लिए धर्म तथा अंधविश्वास संबंधी कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है।

इस विभाग ने सत्र 2019 - 20 में भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद नई दिल्लीदर्शन परिषद( मध्यप्रदेश तथा छत्तीसगढ़) तथा महाविद्यालय के स्वशासी प्रकोष्ठ के सहयोग से राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी का आयोजन किया था। जिसका विषय- भारत की संत परंपरा का दार्शनिक दृष्टिकोण था। विभाग अध्यापन और शोध कार्य कोप्रमुखता से केंद्रित करता है। सत्र 2024-25 में अखिल भारतीय दर्शन परिषद् 69वे अधिवेशन में जो दर्शनशास्त्र विभाग रांची विश्वविद्यालय रांची (झारखण्ड) में आयोजित किया जा रहा है| विभाग की सहभागिता के रूप मेंविभागाध्यक्ष डॉ. अलरेजा द्वारा ओशो दर्शन पर प्रारंभ, व्याख्यानमाला में ओशो दर्शन पर विशेष आमंत्रित शोधपत्र कावाचन किया जायेगा |